Monday, July 25, 2016

जीवन

जीवन एक जंजीर नहीं है।
यह प्रभु का उन्मुक्त हास है।
बस यूँ बहता नीर नहीं है।
जीवन एक जंजीर नहीं है।
गंगा का यह जल है पावन
जो करता है कलुष प्रक्षालन।
जीवन नीरव नीड़ नहीं है।
जीवन एक जंजीर नहीं है।।
रक्त कसैला विष भी कटु है
शत्रु जो इसका वह बहु पटु है
जीवन उसकी पीर नहीं है
जीवन एक जंजीर नहीं है
प्रवाह यह महासागर तक
कभी न रुकती इसकी गति-युति
यह चलता हुआ शरीर नहीं है
जीवन एक जंजीर नहीं है।
गति है लय है छन्द ताल है
वाद्यों का यह वाद्यजाल है
यह केवल मंजीर नहीं है
जीवन एक जंजीर नहीं है।। 

No comments:

Post a Comment