अक्षर
A SANSKRIT LITERATURE AND CULTURE BLOG
Saturday, July 9, 2016
भुजंग सरीखा कौन खड़ा है
हम चन्दन हैं
तुम चन्दन हो
हम-तुम दोनों चन्दन हैं।
पर यह भुजंग सरीखा कौन खड़ा है
जिसने हमको आधार बना
वैमनस्य का महल गढ़ा है।।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment